संस्कृत भाषा एवं भारतीय ज्ञान परम्परा के प्रधानभूत बौद्धिक सम्पदा का प्रचार-प्रसार एवं विकास।
प्राच्यविद्या के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु पाण्डुलिपि संग्रह, शोध, साहित्य लेखन, सम्पादन एवं प्रकाशन।
संस्कृत शिक्षाप्रधान, योग आयुर्वेद, अध्यात्म, पर्यावरण आदि के द्वारा स्वस्थ समाज और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण में अपूर्व योगदान।